"सगे सोयर" अधिसूचना को लागू करने के लिए सत्र में भूमिका निभाएं, अन्यथा मराठा समाज आपको निर्वाचन क्षेत्र में घूमने नहीं देगा - मराठा सेवक श्याम पाटिल वडजे


नांदेड,एम अनिलकुमार |
मराठा आरक्षण के संबंध आनेवाले 20 फरवरी को बुलाए गए विशेष सत्र में "सगे सोयरे" अधिसूचना को लागू किया जाना चाहिए और कानून पारित किया जाना चाहिए। विधायकों को इस मुद्दे पर सदन में आवाज उठानी चाहिए, अन्यथा पूरा मराठा समाज भविष्य में निर्वाचन क्षेत्र में घुमणे नहीं देगा ऐसा सवाल करते हुए विधायक मोहन अण्णा हंबर्डे को आज पूरे मराठा समुदाय की ओर से मेमोरेंडम दिया गया।



विशेष सत्र में अपना पक्ष रखते हुए सरकार द्वारा 27 जनवरी को जारी अधिसूचना को याद करते हुए मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी से आरक्षण प्राप्त करने के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र आवश्यक है और उक्त आवेदक को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए 1967 से पहले का "कुनबी" होना चाहिए। "रिकॉर्ड ढूंढना" आवश्यक है, लेकिन सरकार के अराजक प्रशासन के कारण हमारे क्षेत्र में मराठा समुदाय कुनबी होने के बावजूद भी उनके कुनबी रिकॉर्ड सरकारी रजिस्टर में नहीं मिलने के लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है।   
    
चूँकि कई जगहों पर सरकारी दफ्तरों में दस्तावेज़ घिसे-पिटे हैं, गायब हैं और कुछ जगहों पर जला दिये गये हैं, इसलिए कई गाँवों और तालुकों से "निरंक" की खबरें आ रही हैं। इसके परिणामस्वरूप बहुत कम रिकॉर्ड मिल पाते हैं. सगोत्रीय विवाह, जिसका रिकॉर्ड उपलब्ध हो, ऊनके संबंधियों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए "सगे सोयर" अधिनियम लागू करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि मराठा समुदाय, जो पूर्व में कुनबी है, सरकार की गलती के कारण ओबीसी श्रेणी में जाने से वंचित न रहे। ऐसा भी मेमोरेंडम में कहा गया है, इस अवसर पर मराठा सेवक श्याम पाटिल वडजे, बालाजी पाटिल कदम, सुभाष पाटिल शिंदे, नाना पाटिल वानखेड़े, गोविंद पाटिल कदम, जयसिंग हंबरडे, शिवराम मामा लुटे और अन्य समुदाय के सदस्य उपस्थित थे।

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