कोहरे और बादल के कारण रबी और बची हुई खरिफ की फसल खतरे में



नांदेड,एम अनिलकुमार| पिछले हफ्ते की बारिश से रबी सीजन का चना, गेहूं, ज्वार और खरीफ की तुअर, कपास की फसलें प्रभावित हुईं। तब से लगातार सुभा के वक्त निर्माण होनेवाले कोहरे के कारण लार्वा और फसलं मरणे कि बीमारी का प्रकोप काफी हद तक बढ़ गया है. किसानों को डर है कि खरीप के पीछे पीछे अब रबी सीजन खतरे में पड़ जायेगा.

नांदेड़ जिले में पिछले आठ दिनों में बेमौसम बारिश हुई। जैसे ही बेमौसम बारिश रुकती है, कि उसके दोन दिन बाद तुरंत फिर से अस्मान में बादल छा जाते हैं। कम दबाव का पट्टा निर्माण होणे से चक्रवात मिचौंग ने दस्तक देकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, विदर्भ, रायलसीमा में भारी बारिश हुई है। उस्का असर अब महाराष्ट्र में भी देखणे को मिल रहा है, महाराष्ट्र के नांदेड जिले में तीन दिन बदल छाये रहणें से थंड का माहुल निर्माण हुवा, इसके अलावा अब दो - तीन दिनों से कोहरे की मात्रा भी बढ़ गयी है, सुबह के वक्त शहर व ग्रामीण हलके में कोहरा छाये रहने के कारण किसानों कि खेती में स्थित खरीप कि तूअर और कंपास कि फसलं पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है तथा कुछ स्थानों पर फसलें मुरझा रही हैं तथा फलियां पकने से पहले ही नष्ट हो गयी हैं.

चने की फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप हो गया है। इससे खेत में गेहूं-ज्वार-चना की 20 से 25 फीसदी फसल झुलसा रोग के कारण नष्ट हो गयी है. कोहरे के कारण फसलों पर काफी असर पड़ रहा है, जिसे लेकर किसान वर्ग चिंता व्यक्त कर रहे हैं. जिन खेतों में अभी भी कपास की फसलें सूखी हैं, वहां किसान कपास उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन कोहरा इसी तरह जारी रहा तो कपास के बीजकोषों में कीड़े पड़ जाएंगे और इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा।

किसानों को चिंता है कि कोहरे के कारण खेतों में बची कुची फसलें भी बर्बाद हो जायेंगी. इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों को उत्पादन बढ़ाने और लार्वा पर नियंत्रण के लिए कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने की हिदायत दी जा रही है, जिससे किसानों की जेब कटेगी। समग्र धुंध के कारण, किसान चिंतित हैं कि लार्वा बीमारी के बढ़ते प्रकोप के कारण शेष खरीप फसलें और रबी फसलें खतरे में हैं।

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