नगर पंचायत के कुप्रबंधन के कारण शहर में हो रही मवेशी कि मौत; चूंकि वहां कोई अस्तबल नहीं है, इसलिए खुले जानवरों का प्रबंधन करना असंभव

आवारा पशुओं को आश्रय देने के लिए शेड बनवाकर पशु मालिक पर कार्रवाई करें- किरण बिचेवार


हिमायतनगर, एम अनिलकुमार|
नांदेड जिले के हिमायतनगर नगर पंचायत की कुप्रबंधन के कारण शहर में गायें मर रही हैं. ऐसा आरोप इस वक्त सोशल मीडिया पर लगाया जा रहा है. इसलिए प्रशासक राज में हिमायतनगर की नगर पंचायत चर्चा में आ गई है. इसके बावजूद प्रभारी मुख्याधिकारी और प्रशासक शहर की अग्रणी समस्याओं की ओर आंखें मूंदे हुए हैं..? ऐसा सवाल आम जनता और विकास पसंद नागरिक पूछ रहे हैं. क्या मृत और बिमार मवेशियों को नगर पंचायत में जमा कर विरोध जताया जाना चाहिए..? ऐसी तीखी प्रतिक्रियाएं इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. क्या..? नगर पंचायत प्रशासन इस पर संज्ञान लेते हुए शहर में बढ़ती विभिन्न समस्याओं पर ध्यान देकर नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए आगे आएगा इस और शहर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.



हिमायतनगर शहर को नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब दस साल हो गये हैं. इस दौरान कांग्रेस और शिवसेना पांच साल तक सत्ता में रहीं. लेकिन, नगर निगम स्तर से शहरवासियों को स्वास्थ्य सुरक्षा और आवारा पशुओं को काबू करणे में असमर्थ हुई है. आगे चुनाव हुवा तो आनेवाले पांच साल के कार्यकाल के लिए चुनाव की आवश्यकता थी, किंतु केवल अपने स्वार्थ के लिए, कुछ पदाधिकारियों ने आरक्षण ड्रा के बारे में शिकायत की, इसी कारण चुनाव नहीं हुए। नतीजतन, आज इस बात को तीन साल बाद भी चुनाव नहीं होने से नगर पंचायत प्रशासक के अधीन है. प्रशासक राज होने के बावजूद शहर में कई काम चल रहे हैं किंतु विकास कार्यों में बडे पेमाने पर अनियमितता बरते जाने से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.

शहर में गंदगी की स्थिति, आवारा जानवर, आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या, कई इलाकों में मवेशी और कुत्ते अज्ञात बीमारियों से मर रहे हैं, मुख्य सड़कों पर बदबूदार गंदगी और नाली का पानी, गड्ढों वाली रस्ते के कारण दुर्घटनाएं, आंशिक रूप से पाइप लाइन का काम होणे से पानी की कमी की समस्या निर्माण हुई, स्ट्रीट लाइट की समस्या, बढ़ता शहरी फैलाव, अतिक्रमण समेत कई समस्याओं ने शहरवासियों को जकड़ रखा है. नागरिकों का आरोप है कि नगर पंचायत प्रभारी वैसे तो नगर पंचायत के कामकाज के प्रभारी हैं, लेकिन वे एक पखवाड़े में एक बार नगर पंचायत कार्यालय आते हैं और सिर्फ हस्ताक्षर कर चाले जाते हैं.


चूंकि नगर निगम प्रशासन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए यहां काम करने वाले अधिकारी शहर की स्वच्छता, जल आपूर्ति और अन्य नागरिक सुविधाओं और शहर में आवारा जानवरों के प्रबंधन की भी स्पष्ट रूप से उपेक्षा कर रहे हैं। इससे शहर के चौराहों पर भारी मात्रा में गंदगी फैल गई है और कई जानवर बासी भोजन खाकर तथा प्लास्टिक से विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसलिए, पिछले आठ से पंद्रह दिनों में हिमायतनगर शहर में अज्ञात बीमारियों से पांच से छह जानवरों की मौत हो गई है. हालांकि, गांव के समाजसेवियों ने जब बताया कि जानवर किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो यहां के चिकित्सा अधिकारी ने उनका इलाज किया. किंतु इससे इन जानवरों को कोई फायदा नहीं हुवा, इसलिए इन जानवरों कि मौत हो गई. इस बात को ध्यान में लेकरं नगर पंचायत प्रशासन को अविलंब अपने कार्य में सुधार कर शहरवासियों के साथ-साथ मवेशियों को बचाने का उपाय करना चाहिए. सोशल मीडिया पर चल रही चर्चा से यह बात सामने आई है कि अगर इस तरह से नगर पंचायत मुख्याधिकारी की जानबूझकर अनदेखी की गई तो नगर पंचायत प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करणे कि चेतावणी दि है.

सोशल मीडिया फेसबुक पर वायरल हुए इस सवाल से हिमायतनगर की नगर पंचायत चर्चा में आ गई है और नगर पंचायत का मतलब सिर्फ राजस्व तय किया गया है. ट्रांसफर से यहां आएं और कमाएं और जाएं। स्वार्थ के लालची कुछ नेताओं ने तो पशुशाला भी बेचकर खा ली है। ऐसे में नगर पंचायत यहां आवारा जानवरों से निपटने में पूरी तरह से विफल रही है और यही वजह है कि यहां आवारा जानवरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. शहरों में लगभग 500 बकरियाँ, 200 कुत्ते और लगभग 150 स्वतंत्र गाय और बछड़े हैं। इन खुले जानवरों के विचरण से शहर के व्यवसायियों और क्षेत्र के किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. पिछले दिनों कलेक्टर ने नगर पंचायत को आवारा जानवरों से निपटने के उपाय करने के निर्देश दिए थे। परंतु हिमायतनगर नगर पंचायत प्रशासन द्वारा कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों की अनदेखी के कारण राहगीरों सहित नगर के नागरिक किसानों को आवारा पशुओं की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अब जब ये छुट्टा जानवर शहर में मिलने वाला खाना खाकर मर रहे हैं तो ये सवाल फिर से सामने आ गया है.

आवारा पशुओं को आश्रय देने के लिए शेड उपलब्ध कराकर पशु मालिकों पर कार्रवाई करें- किरण बिचेवार


नगर पंचायत को आवारा पशुओं से निपटने के लिए सबसे पहले संबंधित पशु मालिकों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत मामला दर्ज करना चाहिए। और सभी आवारा मवेशियों को पकड़कर कोंडवारा में रखा जाए। इसके लिए नगर निगम को पूर्व में बेचे गए और खाए गए कोंडवारा की जांच करनी चाहिए और यहां आवरा जानवरों की व्यवस्था के लिए तुरंत एक नया कोंडवारा उपलब्ध कराना चाहिए, जो जगह-जगह कूड़े के गड्ढों में बासी खाना और प्लास्टिक खाकर और दुर्घटनाओं से मर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के गौरक्षा विभाग के प्रमुख किरण बिचेवार ने मांग की है कि धारा HIJ के उल्लंघन के मामले में अपने जानवरों को इस तरह से खुला छोड़ने वाले पशु मालिकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. अन्यथा हमें आंदोलन का हथियार उठाकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी ऐसी चेतावनी भी उन्होने दि है

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