हदगांव-हिमायतनगर तालुका में पर्यावरण बदलणे से तुअर चणे कि फसलें जल गई

किसानों की आर्थिक तंगी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है;  हदगांव-हिमायतनगर तालुका को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए

नांदेड, एम अनिलकुमार| नांदेड़ जिले के हदगांव-हिमायतनगर तालुका में लगातार बादल छाए रहने के कारण हाथ से आने वाली तुअर की फसलें जल गई हैं। साथ हि चणे कि फासलं भी जलकर हुए नुकसान के कारण अधिकांश किसानों ने चणे कि फासलं में हल चला दिया है, इस बात को पर्यावरण में निर्माण हुए बदलाव के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है और किसानों की आर्थिक तंगी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इससे उबरने के लिए मांग की जा रही है कि हदगांव-हिमायतनगर तालुका को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए और तत्काल सहायता दी जाए.


इस वर्ष खरीफ सीजन में कम बारिश के कारण कपास, सोयाबीन को काफी नुकसान हुआ है. सोयाबीन के बीज नहीं भर पाने के कारण किसानों को केवल 1 से 2 क्विंटल ही सोयाबीन की फसल मिल पाई, जिससे खरीफ सीजन में हुआ खर्च भी नहीं निकल पाया था। अब बादलों और कोहरे के कारण खेतों में कपास और तुअर की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है.  तुअर को फूल लगणें कस बाद पिछले कुछ दिनों से चल रहे बादल के कारण कीड़ों के प्रकोप से फूल झड़ गया है और किसानों को फिर से नुकसान का सामना करना पड़ेगा. इसी कारण तुअर का उत्पादन घटने वाला है क्योंकि अधिकांश किसानों के खेतों में तुअर की फसल काली होकर खराब हो गयी है.

जबकि रबी में उगाए गए चना और ज्वार को भी बेमौसम बारिश और उसके बाद मौसम की मार के कारण नुकसान हुआ है, कई किसानों ने चना की फसल पर हल चला दिया है क्योंकि कृषि उपज के नुकसान और मार्केट यार्ड में फासलं को मिलने वाली कम कीमत के कारण किसान दोहरे संकट में आया है। मांग की जा रही है कि सरकार किसानों के इस नुकसान पर ध्यान दे और कपास, सोयाबीन, ज्वार समेत अन्य फसलों के लिए गारंटीशुदा दाम दिलाकर किसानों को आर्थिक संकट से बचाने के लिए सरकारी मदद दे.

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