काकड़ा दिंडी से हिमायतनगर में बना भक्तिमय माहौल; एक परंपरा जो सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है

नांदेड| जिले के हिमायतनगर शहर में आश्विन शुद्ध पूर्णिमा कोजागिरी पूर्णिमा के दूसरे दिन समाप्त होने के बाद, कार्तिक महीने के पहले दिन की शुरुआत में अभ्यंगस्नान कर हिमायतनगर वाढोणा शहर के महिला और पुरुष वारकरी संप्रदाय भजनी मंडल द्वारा काकड़ा आरती दिंडी की शुरुआत की गई है। इस कारण, शहर में भक्तिमय माहौल बन गया है क्योंकि शहर में सुबह सुबह हरि नाम का जाप किया जा रहा है।


सैकड़ों वर्षों की परंपरा के अनुसार जो व्यक्ति शहर के सभी देवी-देवताओं का दर्शन काकडा आरती दिंडी में शामिल होकर ताल मृदंग के स्वर में करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसा ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों का मानना है। उसी परंपरा का पालन करते हुए शहर के देवस्थान श्री परमेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, कालिंका मंदिर महिला और पुरुष भजनी मंडल की ओर से काकड़ा आरती दिंडी निकाली जाती है। सुबह 5 बजे ताल-मृदंग आरती और भजन मण्डली की उपस्थिति में दिंडी की प्रस्तुति की जाती है। इस दिंडी में नागरिकों के साथ-साथ युवा, बूढ़े और बच्चे भी हाथों में भगवा ध्वज लेकर भाग लेते हैं। गृहणियाँ प्रातः जागरण करके घर के सामने रंगोली बनाकर दिंडी का स्वागत करती हैं।

वारकरी संप्रदाय की महिलाएं श्री परमेश्वर, कालिंका मंदिर जाती हैं और काकड़ा आरती में भाग लेती हैं। वे तरह-तरह की आरती गाकर ग्रामीणों को जागृत कर रहे हैं. भक्ति गीतों की काकड़ा आरती और शहर के मुख्य मार्ग से झूलती दिंडी से शहर का माहौल भक्तिमय हो गया है. यह काकड़ा दिंडी कार्यक्रम लगभग एक महीने तक चलेगा और सुबह गुलाबी ठंड में स्नान करने के बाद दिंडी में भाग लेनेवाले वारकरियों, भक्तों और बच्चों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इस दिंडी का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन शहर के मुख्य मार्गों से पालकी जुलूस निकालकर भव्य महाप्रसाद के साथ किया जाएगा।

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