नांदेड़ जिले के हिमायतनगर में क्रांतिवीर लहूजी वस्ताद जयंती धुमधाम से मनाई


नांदेड|
लहूजी राघोजी साल्वे उर्फ लहूजी वस्ताद का नाम उस नेतृत्व के रूप में लिया जाता है जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए सशस्त्र बलों का गठन किया था। उन्होंने 1818 से 1881 तक स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 14 तारीख को वीर लहूजी राघोजी साल्वे की जयंती हर्षोल्हास के साथ मनाई जाती है.


ऐसे महान क्रांतिकारी की 229वीं जयंती आज नांदेड़ जिले के हिमायतनगर में युवा मंडली की ओर से मनाई गई, प्रारंभ में वस्ताद लाहूजी साल्वे की प्रतिमा पर पूजा करते हुये पुष्पमाला अर्पण कर उन्हें नमन किया गया, इस समय गणमान्य लोगों ने क्रांतिगुरु वीर लाहूजी साल्वे द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी . लहूजी राघोजी साल्वे उर्फ लहूजी वस्ताद ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महान योगदान दिया था।

लहूजी के पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में विजयी रहे थे। चूंकि साल्वे परिवार सशस्त्र विज्ञान में पारंगत था, इसलिए शिवाजी महाराज ने अपने कार्यकाल के दौरान लहूजी के पूर्वजों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपीं। शिवाजी महाराज ने अपने कार्यकाल के दौरान साल्वे परिवार की योग्यता को पहचाना और पुरंदर किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी लहूजी साल्वे के दादा को सौंपी थी।


पुणे में रहने वाले लहूजी वस्ताद एक महान सेनानी होने के साथ-साथ एक शिक्षक भी थे। वह महाराष्ट्र पुणे के गंज पेठ प्रशिक्षण में तलवारबाजी, दंडपत्ता, लाठी-काठी, कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहे थे। क्रांतिवीर वासुदेव बलवंत फड़के, म. ज्योतिबा फुले, लोकमान्य तिलक, सदाशिराव परांजपे, मोरो विट्ठल वाल्वेकर, पावले जैसे दिग्गजों सहित कई देशभक्तों ने लाहुजी के अखाड़े में तलवारबाजी, दंडपट्ट, लाठीकठी और कुश्ती का प्रशिक्षण लिया।

उनके कार्य की जीवन कहानी सभी को समझे ईसलीये जयंती उत्सव मानाई जाती है, इसी उपलक्ष पर हिमायतनगर शहर की युवावर्ग ने जयंती उत्सव मानाया, शहर की मुख्य सड़क पर एक भव्य जुलूस निकाला गया। इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए. इस मौके पर युवाओं ने विभिन्न गीतो पर डांस किया, वस्ताद लाहुजी साल्वे जयंती जुलूस पहुंचते ही शहर के चौक चौक में कई लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर स्वागत किया. जयंती मनाने के लिए अध्यक्ष शिवप्रसाद रामेश्वर बनसोडे, उपाध्यक्ष सूरज सोलंके, सचिव विकास मलपुरे, बालाजी बनसोडे, संदीप गुंडेकर, रूपेश पोतरे समेत समाज के युवा सदस्यों ने कड़ी मेहनत की.

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